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हरियाणा में मंत्री बदलते ही 100 करोड़ के घोटाले का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

सत्य खबर, चंडीगढ़ ।     

हरियाणा के 100 करोड़ के सहकारिता घोटाले का मास्टरमाइंड नरेश गोयल हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी ) ने गिरफ्तार कर लिया है। मुखबिर की सूचना पर गोयल को एसीबी की टीम ने पंचकूला से गिरफ्तार किया है। पिछले दिनों सहकारिता विभाग के उजागर हुए करोड़ों रुपए के घोटाले में आरोपी की संलिप्तता के चलते एसीबी की टीम द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी की गई है।

यह मामला एंटी करप्शन ब्यूरो के पास जांच के लिए आया था, जिसकी पड़ताल करने पर इस मामले में अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। नरेश कुमार गोयल पर अपने सह आरोपियों के साथ मिलकर सरकार की करोड़ों रुपए की राशि गबन करने का आरोप है। गोयल की सहयोगी मास्टरमाइंड अनु कौशिश पहले ही जेल में है।

नरेश गोयल के अलावा इस 100 करोड़ के घोटाले की मास्टरमाइंड असिस्टेंट रजिस्ट्रार अनु कौशिश और बिजनेसमैन स्टालिनजीत सिंह हैं। इन्होंने ही फेक बिल और फर्जी कंपनियों के नाम पर सरकारी पैसे को ठिकाने लगाया।

साथ ही अपने बैंक अकाउंट का पैसा हवाला के जरिए दुबई और कनाडा तक पहुंचाया। ये दोनों भी विदेश भागने की फिराक में थे, लेकिन एसीबी को इसकी भनक लग गई और दोनों को गिरफ्तार कर लिया था।

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हरियाणा में अब सहकारिता विभाग महिपाल ढांडा के पास है। एसीबी चीफ भी अब आईपीएस अमिताभ ढिल्लो बनाए गए हैं।

राज्य सरकार की ओर से हाल ही में इस योजना के नोडल अधिकारी नरेश गोयल के खिलाफ ACB को 17-A के तहत जांच की मंजूरी दी है। एसीबी ने इस घोटाले में दर्ज FIR में शामिल करने के लिए दिसंबर 2023 में गोयल के खिलाफ 17-A की मंजूरी मांगी थी। हालांकि, जब मंजूरी में देरी हुई तो एसीबी को फिर से मुख्य सचिव ऑफिस को रिमाइंडर लेटर लिखना पड़ा।

इस पर CM ऑफिस की ओर से और दस्तावेज मांगे गए, लेकिन जब सूबे में मुखिया बदला तो फिर मंजूरी आसानी से मिल गई।

सबसे अहम बात यह है कि 17-A की मंजूरी मिलने के बाद नरेश गोयल 2 बार अग्रिम जमानत के लिए प्रयास कर चुका है। सबसे पहले उसके द्वारा सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की, यहां से उसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद वह पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा है, लेकिन वहां से भी उसकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया गया है। अब वह अंडरग्राउंड हो गया है।

एसीबी टीम ने 2 फरवरी को सहकारिता विभाग के इस घोटाले का खुलासा किया था। ब्यूरो ने ICDP परियोजना में 100 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाला को पकड़ने का दावा किया था। ब्यूरो अब तक इस मामले में 10 वरिष्ठ अधिकारियों सहित 20 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी कर चुका है।

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सहकारिता विभाग के सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति, जिला रजिस्ट्रार सहकारी समिति द्वारा ऑडिटर की मिलीभगत से सरकारी खाते में जमा राशि से अपने निजी हित में फ्लैट तथा जमीन आदि खरीदी जा रही थी। इन अधिकारियों द्वारा सरकारी रिकॉर्ड, बैंक खातों संबंधी विवरण आदि भी सरकारी रिकॉर्ड में जाली लगाया गया था।

सहकारिता विभाग में इस 100 करोड़ के घोटाले के कारण डॉ. बनवारी लाल से सहकारिता विभाग वापस ले लिया गया है। दरअसल सूबे में मुख्यमंत्री बदले जाने के बाद फिर से मंत्रिमंडल का गठन किया गया है। नए मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अपने मंत्रिमंडल में सहकारिता विभाग महिपाल ढांडा को दे दिया है। इससे पहले मनोहर लाल खट्‌टर के कार्यकाल में यह महकमा डॉ. बनवारी लाल देख रहे थे।

विभाग में घोटाले का खुलासा होने के बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। विधानसभा के बजट सत्र में भी विपक्ष ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर जमकर सवाल उठाए थे।

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